मंत्री ने उस दिन अपने बयान में पहले कहा कि अस्पताल और डॉक्टर एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। लेकिन, उस रात मैंने एक बजे तक सारा सिस्टम देखा। अस्पताल में बाउंसर घूम रहे थे। हट्टा कट्टा बाउंसर। मैं भी घबरा गया। मंत्री ने कहा कि मरीज तो इलाज के लिए आते हैं, झगड़ा करने के लिए तो नहीं आते। इतनी सिक्यूरिटी किस वजह से। मंत्री ने कहा था कि इसका मतलब यह है कि मरीज और उसके साथ आए लोगों को गुस्सा आता है। गुस्सा क्यूं आता है? उसके गुस्से को बैलेंस करने के लिए गार्ड और बाउंसर रखे गए हैं। मंत्री ने कहा कि मरीज और उसके रिश्तेदारों को गुस्सा क्यूं आता है, हमारे सिस्टम में गड़बड़ी है।
उस रात की घटना के बारे में उन्होंने कहा कि जब मैंने वहां तैनात डॉक्टर से मिलने की कोशिश की, तब भी उन्हें रोक दिया गया। अंदर घुसने नहीं दिया गया। पूछा क्या काम है? मैंने कहा कि कुछ बात करनी है। तब बैठने को कहा। मैंने तब पूछा कि कितने गार्ड हैं, तो बताया गया कि 1500 हैं। मंत्री ने कहा कि जब इस घटना के बारे में मैंने पीएम को बताया तो उन्होंने पूछा कि क्या एक्शन लिया? मैंने कहा कि कुछ नहीं किया सर। मैं चाहता तो उस दिन 2-3 डॉक्टर को सस्पेंड कर सकता था।